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Tuesday, July 28, 2009

इंशा अल्लाह मेरे बेटे

उसने बताया मुझे
क्लास की
सबसे सुंदर लड़की ने
किया है उसे 'प्रपोज'!
मैंने हंस कर कहा ,
स्वागत है उसका
हमारे परिवार में।
वह बोला ,
मुझे नहीं चाहिए
दीवार पर टांगने के लिए
कलैंडर ,
मुझे चाहिए
कंप्यूटर,
जिस पर बना सकूँ मैं
रोज नए प्रोग्राम।
मैंने हंस कर कहा,
क्या करेगा
दिमाग वाली लड़की ?
गृहस्थी के लिए
ठीक रहती हैं
कम दिमाग वाली
सुन्दर लड़कियां।
वह बोला
नहीं चाहिए मुझे
हर बात पर
'जैसी आपकी इच्छा ',
कहने वाली।
मुझे चाहिए वो
जो दे सके मुझे
सही और ग़लत का
निर्णय कर के।
मैंने पूछा
नौकरी करेगी वो?
हाँ माँ,
उसके होंगे ढेर सारे अधीनस्थ?
हाँ माँ,
उसका दिमाग होगा बाहर
लेकिन दिल होगा
घर में ?
हाँ माँ ,
बाँध कर रखेगी
पूरे परिवार को
अपनी बाहों में?
हाँ माँ ,
उसका चेहरा चमकेगा
स्वाभिमान की चमक से?
हां माँ,
वह 'ना' कह सकेगी तुझे
तेरी किसी बात के लिए?
हां माँ।
मैंने खुश हो कर कहा ,
फ़िर मैं बनाउंगी
उसके लिए भी खाना
उसकी पसंद का।
वह हंस कर बोला
'कुक ' रख लेंगे माँ।
इंशा अल्लाह मेरे बेटे!

Tuesday, July 7, 2009

कैसी हो तुम अब

उसे करनी होती हैं
बहुत सारी बातें
वह जब भी फोन करता है मुझे।
क्लास में मिले
किसी अच्छे कमेन्ट की,
ईर्ष्या से भरे
दोस्तों की प्रशंसाओं की,
कंधे पर टिके सर के
रेशमी बालों से
उठती खुशबुओं की,
अपनी महत्वाकांक्षाओं की,
बनते बिगड़ते योजनाओं की।
मैं चुप हो कर सुनती हूँ
आकाश में उड़ने को आतुर
उसके पंखों की आहटें ,
आशीषें देती हुई
हंसती रहती हूँ ,
उसकी बातों पर।
लेकिन शायद वह सुन लेता है
हँसी में दबी
मेरे अकेले पन की गूंज को,
आहिस्ता से उतर आता है
धरती पर ,
और पूछता है मुझसे ,
कैसी हो तुम अब?