
मेरे मरने के नाम से ।
आँख में भर लेता है आँसू
सिरिंज में भरे हुए खून को
देख कर।
मैं समझाती हूँ उसे,
बड़े हो गए हो तुम,
अब जरूरत नहीं है तुम्हें मेरी,
पापा रख देंगे खाना बनानेवाली,
कपडे धोनेवाली
एक दाई।
वह नहीं सुनाता है मेरी बात
सर हिला देता है।
किसका हाथ पकड़ कर सोयेगा,
कौन सुबह सुबह मुंह चूम कर उठाएगा,
किसे सुनाएगा अपने सपने,
किससे बांटेगा अपने दिल की बात,
कौन देगा
उसके अनगिनत प्रश्नों के ऊत्तर।
सीधी सरल भाषा में समझा देता है
अपनी जरुरत।
चलो, जीने की एक वजह तो बाकी है।