
तमाम उम्र ढूढ़ते रहना
सपने के उस पुरूष को
जिसे तराशा था आपने तब
जब आपने सपने देखने की
शुरुआत की थी।
त्रासद यह भी नहीं
कि उम्र के एक मोड़ पर आकर
वह आपको दिखे तो जरूर
पर आपको देख न पाये।
त्रासद यह भी नहीं है
कि सपनों का वह पुरूष
दौपदी की चाहत की तरह
अलग-अलग पुरुषों में मिले।
त्रासद तो ये है
कि जिसे आपने कभी चाहा ही नहीं
उससे यह कहते हुए तमाम उम्र गुजारना
कि तुम ही तो थे मेरे सपनों में।