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Monday, November 24, 2008

त्रासद

इतना त्रासद नहीं है
तमाम उम्र ढूढ़ते रहना
सपने के उस पुरूष को
जिसे तराशा था आपने तब
जब आपने सपने देखने की
शुरुआत की थी।

त्रासद यह भी नहीं
कि उम्र के एक मोड़ पर आकर
वह आपको दिखे तो जरूर
पर आपको देख न पाये।

त्रासद यह भी नहीं है
कि सपनों का वह पुरूष
दौपदी की चाहत की तरह
अलग-अलग पुरुषों में मिले।

त्रासद तो ये है
कि जिसे आपने कभी चाहा ही नहीं
उससे यह कहते हुए तमाम उम्र गुजारना
कि तुम ही तो थे मेरे सपनों में।

10 comments:

Pooja Prasad said...

त्रासद तो ये है
कि जिसे आपने कभी चाहा ही नहीं
उससे यह कहते हुए तमाम उम्र गुजारना
कि तुम ही तो थे मेरे सपनों में।

man ko choo lene wali panktiyaan..kai zindagiyon ke 1 pehlu ka aaina sa lag rahi hain ya panktiyaan.. Archanaajee achaa likha hai.

रंजू भाटिया said...

त्रासद तो ये है
कि जिसे आपने कभी चाहा ही नहीं
उससे यह कहते हुए तमाम उम्र गुजारना
कि तुम ही तो थे मेरे सपनों में।

इस कविता की सबसे बढ़िया पंक्तियाँ है यह ...बहुत सच्ची बात लिखी है आपने

शोभा said...

त्रासद तो ये है
कि जिसे आपने कभी चाहा ही नहीं
उससे यह कहते हुए तमाम उम्र गुजारना
कि तुम ही तो थे मेरे सपनों में।
सच की इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति ने दिल मोह लिया।

सुजाता said...

आपकी यह कविता चोखेर बाली मे दे रही हूँ । उम्मीद है आपको ऐतराज़ न होगा । होगा तो पहले ही क्षमा माँगती हूँ :-)

गौरव सोलंकी said...

अंत बहुत अच्छा है।

Anonymous said...

Kya kavita hai ! Trasad to yeh hai ki jjise aapne kabhi chaha hee nahin........"
Bahut hee Achhi !!
I reached this Blog through some other Links. (Chokher Baali and R. Anuradha's Blog). In fact, I don't know how to give comments in Hindi though I would have loved to do that. Your second poem "kaash" is also very good. In a certain way, it is better than "Trasad" as it does not have the bitterness of "Trasad" - So 'Kaash' is like sweet little candy which every child would like to cling to!! However, I didn't really like the "Jeene Kee Vajah" - I mean, I would not like a mother to be cruel with a child and telling him that she is going to die.
Anyway, your poems will bring me back to your Blog.
Aap aise hee likhti rahiye.

neelima garg said...

very meaning poem...

गुड्डा गुडिया said...

दर्द तो दर्द है
इसको पढने कि कला हर किसी को नहीं |
आपने महसूस किया और सजाया शब्दों मैं
खूबसूरत अंदाज ||
प्रशांत दुबे, भोपाल
prashantd1977@gmail.com
www.atmadarpan.blogspot.com

प्रशांत मलिक said...

bahut jyada achhi kavita likh di hai aapne
last lines bahut he sahi hain

पारुल "पुखराज" said...

त्रासद तो ये है
कि जिसे आपने कभी चाहा ही नहीं
उससे यह कहते हुए तमाम उम्र गुजारना
कि तुम ही तो थे मेरे सपनों में। sachmuch..