ऊब और दूब पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read uub aur doob in your own script)

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Tuesday, July 28, 2009

इंशा अल्लाह मेरे बेटे

उसने बताया मुझे
क्लास की
सबसे सुंदर लड़की ने
किया है उसे 'प्रपोज'!
मैंने हंस कर कहा ,
स्वागत है उसका
हमारे परिवार में।
वह बोला ,
मुझे नहीं चाहिए
दीवार पर टांगने के लिए
कलैंडर ,
मुझे चाहिए
कंप्यूटर,
जिस पर बना सकूँ मैं
रोज नए प्रोग्राम।
मैंने हंस कर कहा,
क्या करेगा
दिमाग वाली लड़की ?
गृहस्थी के लिए
ठीक रहती हैं
कम दिमाग वाली
सुन्दर लड़कियां।
वह बोला
नहीं चाहिए मुझे
हर बात पर
'जैसी आपकी इच्छा ',
कहने वाली।
मुझे चाहिए वो
जो दे सके मुझे
सही और ग़लत का
निर्णय कर के।
मैंने पूछा
नौकरी करेगी वो?
हाँ माँ,
उसके होंगे ढेर सारे अधीनस्थ?
हाँ माँ,
उसका दिमाग होगा बाहर
लेकिन दिल होगा
घर में ?
हाँ माँ ,
बाँध कर रखेगी
पूरे परिवार को
अपनी बाहों में?
हाँ माँ ,
उसका चेहरा चमकेगा
स्वाभिमान की चमक से?
हां माँ,
वह 'ना' कह सकेगी तुझे
तेरी किसी बात के लिए?
हां माँ।
मैंने खुश हो कर कहा ,
फ़िर मैं बनाउंगी
उसके लिए भी खाना
उसकी पसंद का।
वह हंस कर बोला
'कुक ' रख लेंगे माँ।
इंशा अल्लाह मेरे बेटे!

13 comments:

नीरज गोस्वामी said...

बहुत खूब...क्या बात कही है अपनी रचना में...वाह.
नीरज

रंजू भाटिया said...

एक बहुत प्यारी सी अभिव्यक्ति आपने रच दी है इस रचना में ..आपका लेखन सच्चाई के करीब होता है इस लिए दिल को बहुत आसानी से छू लेता है .

ओम आर्य said...

bahut hi khubsorat rachana kari hai
aapane isake liye bahut bahut shukriya....aapani rachanao se aise hi sarabor karate rahiye......badhaaee

P.N. Subramanian said...

यह हुई न बात. बहुत खूबसूरत. आभार

आर. अनुराधा said...

अर्चनाजी, आप तो रुला देती हैं, सारी सच्ची बातें कह कर। पहली बार आपके ब्लॉग पर आई चोखेर... के जरिए।
आपकी कलम ऐसे ही चलती रहे, अपने भावों के साथ आप ऐसी ही जीवंत बनीं रहें।

के सी said...

ये कविता बहुत सुंदर है. मुझे बहुत पसंद आई इस दूब ने मुझे पूरे रास्ते ऊबने नहीं दिया वरन आनंद से नेत्रों को विस्फारित ही रखा !

सौरभ के.स्वतंत्र said...

इस रचना से समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा किया जा सकता है...उम्दा..कलम की कटारी चलाते रहिये..पढ़ते रहिये...लिखते रहिये..

सौरभ के.स्वतंत्र

mridula pradhan said...

very nice poem uub....duub.

mridula pradhan said...

ladki jo bari ho gayee,bahut hi achhi lagi .

दर्पण साह said...

aadhunikta aur sansakaaron ki aisi mili judi bahu mil jaiye....
....har maa ko !!

insha , allha !!

Arshia Ali said...

आशावाद से बंधी रचना.
{ Treasurer-T & S }

kavita said...

nari ke nari ke liye badalte vicharon ki,ek khushnuma sapane(jo kasak ke roop mein hai ) ko bete ki jindagi mein ji lene ki adbhut abhivyakti.
kavita

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

बेशकीमती भावों और अर्थों से सजी है आपकी पंक्तियाँ..
पता नहीं क्यूँ ऐसा लगा स्थिति मेरे आस -पास (शायद घर) की है. मेरी माँ की आँखे भी कुछ ऐसे ही बोलते हैं.

यहाँ आकर (इस दूब पर) बहुत सुकून मिला