ऊब और दूब पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read uub aur doob in your own script)

Hindi Roman(Eng) Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam

Tuesday, February 24, 2009

एक खाली कप

ठिठकने लगी है उंगलियाँ अब
तुम्हारे नाम से दो शब्द
लिखने के बाद।
रुक जाती हूँ
फोन के बटन दबाते- दबाते।
तुमसे दो बातें कर लेने की इच्छा
लम्बी साँस बन कर
हवा में घुलने लगी है
सामने पड़ा चाय का एक
खाली कप भी
कुछ नहीं कहता,
अब अकले पी लेने की
आदत पड़ गई है।

5 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan narayan

परमजीत सिहँ बाली said...

अपने मनोभावों को सुन्दर शब्द दिए हैं।

चण्डीदत्त शुक्ल-8824696345 said...

achcha likhti hain aap...kabhi chaurahe (www.chauraha1.blogspot.com) par bhi aayen...achcha lagega...

रंजना said...

Waah ! Bahut bahut sundar abhivyakti hai...Bahut hi sundar.

Vinay said...

बहुत सुन्दर कविता